Hoshang Shah Tomb Mandu The First Marble Tomb
![]() |
Information about hoshang shah tomb mandu |
![]() |
Information about hoshang shah tomb mandu |
According to an inscription inside the building. Shah Jahan sent 4 of his architects Ustad Hamid, Shivram, Lateef Ullah Khan and Khawaja Sadhurai to observe the tomb in 1659. This is the story behind the construction of Taj Mahal. This unknown facts surely is Mandav's achievement, inspiring one of the 7 wonders of the world. (Source :- MTPC, Dhar)
होशंगशाह का मकबरा संगमरमर की पहली क़ब्र
![]() |
Information about hoshang shah tomb mandu |
होशंगशाह का मकबरा संगमरमर की पहली क़ब्र
परमारो के बाद माण्डव का पहला सुल्तान शासक, होशंगशाह को माना जाता है। सुल्तान का तमगा हासिल करते ही होशंगशाह, पार से राजधानी माण्डव ले जाया। मुगलों के आने से पहले तक माण्डव, मालवा की राजधानी बना रहा। होशंगशाह ने 27 वर्षों तक माण्डव में शासन करते हुए दिल्ली, जामा मस्जिद और खुद के मकबरे का निर्माण करावा। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि होशंगशाह के जिंदा रहते मकबरे का निर्माण शुरु कराया, लेकिन सन् 1436 में उसकी मृत्यु हो गयी। सन 1440 में उसके पुत्र महमूद शाह ने इस मकबरे का निर्माण पूरा कराया।![]() |
Information about hoshang shah tomb mandu |
होशगशाह का मकबरा देश में संगमरमर से बनी पहली इमारत है। इसके वर्गकार दरवाजा तथा विशाल गुम्बद से इसकी सुन्दरता झलकती है। इसकी दीवार चबूतरे से 9.6 मीटर ऊंची और 3.35 मीटर मोटी है। उसकी उत्तर दिशा की दीवारों में, जमीन से 9 मीटर ऊंचाई पर खिड़कियां बनी है। इन खिड़कियों में गोलाकार , चतुर्भुजीऔर अष्टभुजी डिजाइन उकेरी गई है, जो गणित और वास्तु का जोड़ है। मकबरे के अन्दर प्रवेश करते ही विशाल दान के मध्य में, होशंगशाह की कब्र बनी है। कब्र के किनारे बनी कलाकृतियों पर हिन्दू वास्तुकला की झलक नजर आती है। इस मकबरे में काले और पीले संगमरमर पत्थरों का उपयोग किया गया है। इस इमारत के सम्बन्ध में कहा जाता है कि उस काल में इस मकबरे की खूबसूरती, भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी चर्चा का विषय थी । इसकी स्थापत्य कला का अध्ययन करने दूर-दूर से लोग वहाँ आते थे। वह भी कहा जाता है कि विश्व की धरोहरों में से एक, 'ताजमहल' का निर्माण भी इसी मकबरे को देखकर किया गया था |
मकबरे में लगे एक शिलालेख के मुताबिक सन् 1659 में शाहजहाँ के चार वास्तुकार असद हामिद, शिवराम, लतीफुल्लाखों और ख्वाजा साधुराय मकबरे को देखने आए वे मकबरे में होशंगशाह की कब्र के अलावा, 5 अन्य कब्रें उसके परिवार के सदस्यों की है। इन कब्रों का निर्माण साधारण पत्थरों से हुआ है। मकबरे के शिखर पर लगी अर्धचंद्राकारकार आकृति के बारे में कहा जाता है कि इसे पर्शिया या मेसोपोटामिया से मँगवाया गया था।
(Source :- MTPC, Dhar)
मकबरे में लगे एक शिलालेख के मुताबिक सन् 1659 में शाहजहाँ के चार वास्तुकार असद हामिद, शिवराम, लतीफुल्लाखों और ख्वाजा साधुराय मकबरे को देखने आए वे मकबरे में होशंगशाह की कब्र के अलावा, 5 अन्य कब्रें उसके परिवार के सदस्यों की है। इन कब्रों का निर्माण साधारण पत्थरों से हुआ है। मकबरे के शिखर पर लगी अर्धचंद्राकारकार आकृति के बारे में कहा जाता है कि इसे पर्शिया या मेसोपोटामिया से मँगवाया गया था।
(Source :- MTPC, Dhar)
No comments:
Post a Comment